tag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post2064248471129707251..comments2023-10-07T15:42:23.917+05:30Comments on Dr. Subramanian Swamy: Swamy vows to challenge UPA ‘unconstitutional’ dream moveBlog Authorhttp://www.blogger.com/profile/05506991500708774646noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-61070270646054362692013-10-10T11:08:51.401+05:302013-10-10T11:08:51.401+05:30Easily I adore metropolis roughly this gracious of...Easily I adore metropolis roughly this gracious of stuffs and various many consanguineous towards the Politician and Geometry wars etc.It was so undreamt to scan for the airman, Thanks a lot for distribution it. <a href="http://www.balljersey.com/" rel="nofollow">football top</a> | <a href="http://www.balljersey.com/" rel="nofollow">barcelona shirt</a> | <a href="http://www.balljersey.com/" rel="nofollow">soccer shirt</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11620740002493346298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-11845976530808473262013-06-27T21:40:31.206+05:302013-06-27T21:40:31.206+05:30The Direct cash transfer DCT by the Congress Govt ...The Direct cash transfer DCT by the Congress Govt is a clear admission of the inefficiency of the govt that they cant plug holes in the PDS. It is equal to bribing voters officially. If a road is not okay, will the govt transfer funds to the residents and ask them to lay the road by themselves or after taking money if they distribute among themselves, the Govt will keep quiet? To fight pakistan, dont be surprised if the Govt provides you with a Rifle and take care of the country.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-59157941067996356702013-03-08T13:09:18.754+05:302013-03-08T13:09:18.754+05:30Thanks for making the travail to handle this, I be...Thanks for making the travail to handle this, I believe strongly over it and enjoy learning regarding this topic. If at all accomplishable, since you make skillfulness, do you aim updating your website with unneeded message? It is kind of utilizable for me. <a href="http://suegoldstoneinteriors.com/" rel="nofollow">phoenix interior design</a> | <a href="http://suegoldstoneinteriors.com/" rel="nofollow">arizona interior design</a> | <a href="http://suegoldstoneinteriors.com/" rel="nofollow">scottsdale interior designer</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08626476851164389868noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-16083651645806300782012-12-29T12:33:39.618+05:302012-12-29T12:33:39.618+05:30Thanks a lot for enjoying this beauty article with...Thanks a lot for enjoying this beauty article with me. I am apreciating it very much! Looking forward to another great article. Good luck to the author! all the best!<br />BUSINESS ANALYST JOBShttp://www.epicresearch.co/careersnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-17159801886935244162012-12-26T15:27:07.050+05:302012-12-26T15:27:07.050+05:30nice blog
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1. सोम...स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -<br />1. सोमरस पान का सम्पूर्ण चक्र होने स्थिति (पुण्य)- इस स्थिति में सकाम उपासना करना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है । <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />2. सोमरस पान का सम्पूर्ण चक्र न होने स्थिति। समान काम कर्मेन्द्रिय (निम्न श्रेणी-त्यागने योग्य) । स्त्री रूप द्वारा पुरुष रूप की सकाम उपासना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता नष्ट हो सकती है। <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />3. सोमरस पान - पुरुष रूप के लिए यह निष्काम उपासना आवश्यक है, सोमरस पान से पुरुष रूप द्वारा उत्पन्न अग्नि तत्व शान्त व शीतल होता है, अग्नि व सोम तत्व की क्रिया से सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है, सोमरस रूपी भोजन को नष्ट करना अनुचित है, सोम व अग्नि तत्व की क्रिया करवाने वाले पुरुष पाप को खाते है । स्त्री रूप को उस पुरुष द्वारा मुखाग्नि नहीं दी जा सकती क्योंकि यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है ।<br />सकाम उपासना (सोमरस पान का सम्पूर्ण चक्र न होने स्थिति), सोमरस पान (उपभोग) एवं दान की त्रिगुणी माया का पालन पुरुष रूप को करना चाहिए । स्त्री रूप की उपासना में धर्म हो अर्थात् उपासना उस स्त्री रूप से विवाह करने वाला पुरुष ही करें । स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है इसलिए स्त्री रूप द्वारा पुरूष की उपासना करना धर्म के विरुद्ध है । इसलिए स्त्री देवी का<br />रूप है । किसी भी आत्मा रहित शरीर की अंत्येष्टि कोई भी पुरुष रूप कर सकता है । स्त्री रूप शरीर रूपी तत्व को मुखाग्नि नहीं दे सकती क्योंकि स्त्री रूप के मुख में अग्नि जाने से यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है, जिससे सोम तत्व की पवित्रता नष्ट हो सकती है । जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है । मोक्ष के लिए तप, भक्ति एवं दान आवश्यक है । आत्मा पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है । शरीर पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकता है । भगवान श्रीराम, शिव एवं शक्ति की उपासना करते है एवं शिव रूप हनुमानजी, श्रीराम की भक्ति करते है । मैं अपनी उपासना नहीं करवाता । प्रकृति द्वारा उत्पादित एवं प्राप्त (शाक आधारित भोजन, औषधि ...) एवं स्त्री रूप जीवों में जीवन की उत्पत्ति के पश्चात् निर्मित विशिष्ट उत्पाद (दूध, शहद...) जिनमें ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जीवन के न होने पुष्टि होती हो, उनका केवल मुख (भोजन की कर्मेन्द्री) द्वारा उपभोग उचित है । शेष ज्ञान के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करें । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-32357268157844802632012-12-06T16:55:15.268+05:302012-12-06T16:55:15.268+05:30स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -
1. सोम...स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -<br />1. सोमरस पान के सम्पूर्ण चक्र में भोगों की कामना होने की स्थिति (पुण्य)- इस स्थिति में सकाम उपासना करना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है । <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />2. पुण्य की स्थिति न होना। समान काम कर्मेन्द्रिय (निम्न श्रेणी-त्यागने योग्य) । स्त्री रूप द्वारा पुरुष रूप की सकाम उपासना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता नष्ट हो सकती है। <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />3. सोमरस पान - पुरुष रूप के लिए यह निष्काम उपासना आवश्यक है, सोमरस पान से पुरुष रूप द्वारा उत्पन्न अग्नि तत्व शान्त व शीतल होता है, अग्नि व सोम तत्व की क्रिया से सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है, सोमरस रूपी भोजन को नष्ट करना अनुचित है, सोम व अग्नि तत्व की क्रिया करवाने वाले पुरुष पाप को खाते है । स्त्री रूप को उस पुरुष द्वारा मुखाग्नि नहीं दी जा सकती क्योंकि यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है ।<br />सकाम उपासना (भोगों की कामना की स्थिति न होना), सोमरस पान एवं दान की त्रिगुणी माया का पालन पुरुष रूप को करना चाहिए । स्त्री रूप की उपासना में धर्म हो अर्थात् उपासना उस स्त्री रूप से विवाह करने वाला पुरुष ही करें । स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है इसलिए स्त्री रूप द्वारा पुरूष की उपासना करना धर्म के विरुद्ध है । इसलिए स्त्री देवी का रूप है । किसी भी आत्मा रहित शरीर की अंत्येष्टि कोई भी पुरुष रूप कर सकता है । स्त्री रूप शरीर रूपी तत्व को मुखाग्नि नहीं दे सकती क्योंकि स्त्री रूप के मुख में अग्नि जाने से यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है, जिससे सोम तत्व की पवित्रता नष्ट हो सकती है । जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है । मोक्ष के लिए तप, भक्ति एवं दान आवश्यक है । आत्मा पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है । शरीर पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकता है । भगवान श्रीराम, शिव एवं शक्ति की उपासना करते है एवं शिव रूप हनुमानजी, श्रीराम की भक्ति करते है । मैं अपनी उपासना नहीं करवाता । प्रकृति द्वारा उत्पादित एवं प्राप्त (शाक आधारित भोजन, औषधि ...) एवं स्त्री रूप जीवों में जीवन की उत्पत्ति के पश्चात् निर्मित विशिष्ट उत्पाद (दूध, शहद...) जिनमें ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जीवन के न होने पुष्टि होती हो, उनका केवल मुख (भोजन की कर्मेन्द्री) द्वारा उपभोग उचित है । शेष ज्ञान के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करें । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-3608327782412731472012-12-06T16:45:34.626+05:302012-12-06T16:45:34.626+05:30स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -
1. सोम...स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -<br />1. सोमरस पान के सम्पूर्ण चक्र में भोगों की कामना होने की स्थिति (पुण्य)- इस स्थिति में सकाम उपासना करना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है । <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />2. पुण्य की स्थिति न होना। समान काम कर्मेन्द्रिय (निम्न श्रेणी-त्यागने योग्य) । स्त्री रूप द्वारा पुरुष रूप की सकाम उपासना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता नष्ट हो सकती है। <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />3. सोमरस पान - पुरुष रूप के लिए यह निष्काम उपासना आवश्यक है, सोमरस पान से पुरुष रूप द्वारा उत्पन्न अग्नि तत्व शान्त व शीतल होता है, अग्नि व सोम तत्व की क्रिया से सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है, सोमरस रूपी भोजन को नष्ट करना अनुचित है, सोम व अग्नि तत्व की क्रिया करवाने वाले पुरुष पाप को खाते है । स्त्री रूप को उस पुरुष द्वारा मुखाग्नि नहीं दी जा सकती क्योंकि यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है ।<br />सकाम उपासना (भोगों की कामना की स्थिति न होना), पुण्य एवं दान की त्रिगुणी माया का पालन पुरुष रूप को करना चाहिए । स्त्री रूप की उपासना में धर्म हो अर्थात् उपासना उस स्त्री रूप से विवाह करने वाला पुरुष ही करें । स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है इसलिए स्त्री रूप द्वारा पुरूष की उपासना करना धर्म के विरुद्ध है । इसलिए स्त्री देवी का<br />रूप है । किसी भी आत्मा रहित शरीर की अंत्येष्टि कोई भी पुरुष रूप कर सकता है । स्त्री रूप शरीर रूपी तत्व को मुखाग्नि नहीं दे सकती क्योंकि स्त्री रूप के मुख में अग्नि जाने से यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है, जिससे सोम तत्व की पवित्रता नष्ट हो सकती है । जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है । मोक्ष के लिए तप, भक्ति एवं दान आवश्यक है । आत्मा पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है । शरीर पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकता है । भगवान श्रीराम, शिव एवं शक्ति की उपासना करते है एवं शिव रूप हनुमानजी,<br />श्रीराम की भक्ति करते है । मैं अपनी उपासना नहीं करवाता । प्रकृति द्वारा उत्पादित एवं प्राप्त (शाक आधारित भोजन, औषधि ...) एवं स्त्री रूप जीवों में जीवन की उत्पत्ति के पश्चात् निर्मित विशिष्ट उत्पाद (दूध, शहद...) जिनमें ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जीवन के न होने पुष्टि होती हो, उनका केवल मुख (भोजन की कर्मेन्द्री) द्वारा उपभोग उचित है । शेष ज्ञान के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करें । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-45973349050286035952012-11-30T15:53:31.820+05:302012-11-30T15:53:31.820+05:30स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -
1. सोम...स्त्री रूप की पुरुष रूप द्वारा उपासना में -<br />1. सोमरस पान का सम्पूर्ण चक्र होने स्थिति (पुण्य)- इस स्थिति में सकाम उपासना करना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है । <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />2. सोमरस पान का सम्पूर्ण चक्र न होने स्थिति। समान काम कर्मेन्द्रिय (निम्न श्रेणी-त्यागने योग्य) । स्त्री रूप द्वारा पुरुष रूप की सकाम उपासना अनुचित है इससे अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता नष्ट हो सकती है। <br />धर्म की परिभाषा के अनुसार स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है । स्त्री रूप का गर्भाशय केवल दान के द्वारा जीवन की उत्पत्ति के लिए है, सकाम उपासना (निम्न श्रेणी) में पुरुष रूप द्वारा जानबूझकर उस ओर जाकर अग्नि तत्व द्वारा गर्भाशय की पवित्रता को नष्ट करना धर्म के विरुद्ध है ।<br />3. सोमरस पान - पुरुष रूप के लिए यह निष्काम उपासना आवश्यक है, सोमरस पान से पुरुष रूप द्वारा उत्पन्न अग्नि तत्व शान्त व शीतल होता है, अग्नि व सोम तत्व की क्रिया से सोम तत्व की पवित्रता नष्ट होती है, सोमरस रूपी भोजन को नष्ट करना अनुचित है, सोम व अग्नि तत्व की क्रिया करवाने वाले पुरुष पाप को खाते है । स्त्री रूप को उस पुरुष द्वारा मुखाग्नि नहीं दी जा सकती क्योंकि यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है ।<br />सकाम उपासना (सोमरस पान का सम्पूर्ण चक्र न होने स्थिति), सोमरस पान (उपभोग) एवं दान की त्रिगुणी माया का पालन पुरुष रूप को करना चाहिए । स्त्री रूप की उपासना में धर्म हो अर्थात् उपासना उस स्त्री रूप से विवाह करने वाला पुरुष ही करें । स्त्री रूप सत्य की प्रबलता है इसलिए स्त्री रूप द्वारा पुरूष की उपासना करना धर्म के विरुद्ध है । इसलिए स्त्री देवी का रूप है । किसी भी आत्मा रहित शरीर की अंत्येष्टि कोई भी पुरुष रूप कर सकता है । स्त्री रूप शरीर रूपी तत्व को मुखाग्नि नहीं दे सकती क्योंकि स्त्री रूप के मुख में अग्नि जाने से यह जल पर अग्नि प्रज्वलित करने के समान है, जिससे सोम तत्व की पवित्रता नष्ट हो सकती है । जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है । मोक्ष के लिए तप, भक्ति एवं दान आवश्यक है । आत्मा पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है । शरीर पवित्रता के आधार पर एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकता है । भगवान श्रीराम, शिव एवं शक्ति की उपासना करते है एवं शिव रूप हनुमानजी, श्रीराम की भक्ति करते है । मैं अपनी उपासना नहीं करवाता । प्रकृति द्वारा उत्पादित एवं प्राप्त (शाक आधारित भोजन, औषधि ...) एवं स्त्री रूप जीवों में जीवन की उत्पत्ति के पश्चात् निर्मित विशिष्ट उत्पाद (दूध, शहद...) जिनमें ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जीवन के न होने पुष्टि होती हो, उनका केवल मुख (भोजन की कर्मेन्द्री) द्वारा उपभोग उचित है । शेष ज्ञान के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करें । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-27269221808177782452012-11-29T21:41:58.256+05:302012-11-29T21:41:58.256+05:30Is the MPLAD scheme constitutional or not?Is the MPLAD scheme constitutional or not?Anonymousnoreply@blogger.com