tag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post7539371313899563376..comments2023-10-07T15:42:23.917+05:30Comments on Dr. Subramanian Swamy: The resolve to declare a Hindu Nation will echo in the All India Hindu ConventionBlog Authorhttp://www.blogger.com/profile/05506991500708774646noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-22103346639489781212012-08-03T09:17:02.728+05:302012-08-03T09:17:02.728+05:30धर्म सकर्म में होता है, अकर्म में नहीं । किया गया ...धर्म सकर्म में होता है, अकर्म में नहीं । किया गया कर्म या किया जाने वाला कर्म न्याय एवं नीति की दृष्टि से उचित लगता है तब सत्य को छुपाया जा सकता है या असत्य का सहारा लेना उचित है । पूर्ण रूप से धर्म का पालन इस युग में किसी भी मनुष्य के लिए कठिन है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-84090061181783321452012-07-12T13:21:28.959+05:302012-07-12T13:21:28.959+05:30वर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना...वर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी आम मनुष्य के लिए कठिन कार्य है । इसलिए मनुष्य को सदाचार एवं मानवीय मूल्यों के साथ जीना चाहिए एवं मानव कल्याण के बारे सोचना चाहिए । इस युग में यही बेहतर है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-72407498387558634202012-06-14T13:10:57.704+05:302012-06-14T13:10:57.704+05:30धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं न...धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।<br />व्यक्तिगत (निजी) धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।<br />सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।<br />धर्म संकट - जब सत्य और न्याय में विरोधाभास होता है, उस स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और<br />न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।<br />धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है ।<br />धर्म के विरुद्ध किया गया कर्म, अधर्म होता है ।<br />व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -<br />राजधर्म, राष्ट्रधर्म, प्रजाधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म ।<br />धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिमूर्ति) से लेकर इस क्षण तक ।<br />राजतंत्र होने पर धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र होने पर धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाता है ।<br />by - kpopsbjriAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-31271728803345619502012-06-06T19:51:09.307+05:302012-06-06T19:51:09.307+05:30धर्मांतरण राष्ट्रद्रोह है। आने वाले चुनावों में हम...धर्मांतरण राष्ट्रद्रोह है। आने वाले चुनावों में हम उसी दल को अपना मत दान करेंगे जो धर्मांतरण को राष्ट्रद्रोह का अपराध घोषित करने का आश्वासन देगा।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7193588494101071164.post-2980957207349194672012-06-06T17:08:12.035+05:302012-06-06T17:08:12.035+05:30The summit of HJS should pass resolution for decla...The summit of HJS should pass resolution for declaration of Bharat India as a Hindu rashtra and all hindus as the true inhabitants of Bharat and all others are guests.Also all sadhu sadhvi sanit mahatma baba should b exhorted to move in villages towns rural india preaching hinduism and also educating all people of the dangers of conversion and anti hindu acts by christians and muslims.Anonymousnoreply@blogger.com