हिंदुओ, सामर्थ्यशाली हिंदुत्ववादी संगठन एवं मुसलमानोंकी दास्यता करनेमें स्वयंको धन्य समझनेवाले हिंदुद्वेषी कांग्रेसी नेता इसपर कोई कृति नहीं करेंगे । इसलिए आपही कृतिशील हो जाएं !
हिंदुओंको पारंपरिक वेश परिधान न करनेकी विनती करनेवाला स्थानीय प्रशासन क्या मुसलमानोंको ऐसा सूचित करनेका साहस दिखाएगा ?
डेन्मार्क देश ईसाई बहुसंख्यक है । इस देशमें यदि हिंदुओंको अपने धर्मानुसार आचरण करना असंभव है, तो पाक, बांगलादेश, मलेशिया एवं इंडोनेशियाके समान मुसलमान बहुसंख्यक राष्ट्रमें हिंदुओंकी स्थिति क्या होगी, इसका हम विचार भी नहीं कर सकते । इस घटनासे यह स्पष्ट होता हैं कि, हिंदुओंके लिए संपूर्ण विश्वमें एक भी सुरक्षित स्थान नहीं है । यह स्थिति परिवर्तित करने हेतु हिंदु राष्ट्र स्थापित करना अनिवार्य है । - संपादक
कोपनहेगन, २४ दिसंबर - डेन्मार्कमें पश्चिम कोपनहेगनमें स्थित ‘हरे कृष्ण’ मंदिरपर मुसलमानोंके एक समुदायने आक्रमण किया । युवकोंके इस समुदायद्वारा मंदिरपर पथराव कर मंदिरके द्वारके शीशे तोडे गए । मुसलमानोंके समुदायसे संघर्ष टालनेके लिए नगर प्रशासनद्वारा मंदिरके आसपासके मुसलमान प्रभावित क्षेत्रमें हिंदु भक्तोंको पारंपरिक वेश परिधान न करनेकी विनती की गई है । (अर्थात् डेन्मार्कमें हिंदुओंका धर्मपालन करना कठिन हो गया है । आज ‘पारंपरिक वेश परिधान न करें’, ऐसा कहनेवाले भविष्यमें पूजा-पाठ करनेके लिए भी प्रतिबंध लगाएंगे । विश्वभरमें हिंदुओंने संगठित होकर ऐसी घटनाओंका विरोध नहीं किया, तो पूरे विश्वमें हिंदुओंके श्रद्धास्थान नष्ट करनेके लिए भी मुसलमान हिचकिचाएंगे नहीं । - संपादक) डॅनिश पुलिसद्वारा इस आक्रमणके विषयमें प्रथमदर्शी अहवाल नीचे दिएनुसार बनाया गया है ।
१. मुसलमान गुंडोंके एक समुदायने कोपनहेगन स्थित ‘हरे कृष्ण’ मंदिरपर आक्रमण किया । इन गुंडोंने प्रथम मंदिरके प्रवेश द्वारपर पथराव किया । तदुपरांत माताजी आश्रमकी खिडकियां तोडीं । मंदिरके अध्यक्षद्वारा इस आक्रमणके विरोधमें पुलिसमें परिवाद प्रविष्ट किया गया । परिवाद प्रविष्ट करनेके आधे घंटेके उपरांत केवल एक पुलिस अधिकारी घटनास्थलपर आया । उसने मंदिरकी हानिका विषय पंजीकृत किया एवं वहांसे चला गया । आधे घंटेमें मुसलमान गुंडोंके बडे समुदायने पुनः मंदिरपर आक्रमण कर पथराव किया तथा द्वारके शीशे तोडें । तदुपरांत उन्होंने मंदिरका प्रवेशद्वार तोडकर मंदिरमें प्रवेश करनेका प्रयत्न किया । इस विषयमें पुलिसमें पुनः परिवाद प्रविष्ट किया गया; परंतु उस समय एक भी पुलिस घटनास्थलपर नहीं आया । (यदि मुसलमानोंद्वारा किसी चर्चपर आक्रमण हुआ होता, तो डॅनिश पुलिसने निश्चित ही ऐसा व्यवहार नहीं किया होता । उन्होंने अपराधी मुसलमानोंको ढूंढ निकाल उन्हें न्यायालयके समक्ष खडा किया होता । डॅनिश पुलिसद्वारा हिंदुओंके परिवादकी उपेक्षा यह मुसलमानोंकी दास्यता करनेवाली कांग्रेसका ही पाप है । हिंदु बहुसंख्यक भारतमें ही यदि हिंदुओंके साथ शुल्क नागरिकके समान व्यवहार किया जाता है, तो विश्वके अन्य देशोंसे सम्मानपूर्वक व्यवहार होगा, इस प्रकारकी अपेक्षा करना ही मूर्खता है । हिंदुओ, विश्वमें एवं भारतमें आपकी स्थिति बिन बुलाए अतिथिसमान करनेवाले राष्ट्रद्रोही कांग्रेसवालोंको आप कितने समयतक सहेंगे ? - संपादक)
२. हरे कृष्ण मंदिरपर जिस दिन आक्रमण हुआ, उसी दिन प्रातः मंदिरके दो भक्तोंको नगरमें क्षुद्रसे कारणको लेकर मारपीट की गई थी । यह संघर्ष न बढे तथा स्थानीय मुसलमानोंद्वारा पुनः आक्रमण न हो, इस हेतु मंदिरके भक्तोंको पारंपरिक वेश परिधान न कर बाहर जानेका आवाहन किया गया है । (हिंदुओंकी धर्मस्वतंत्रतापर आंच लानेका ही यह प्रसंग है । मुसलमान गुंडोंपर कार्यवाही करनेकी अपेक्षा हिंदुओंको ही बाहर जानेके लिए रोकना अर्थात् मुसलमानोंको गुंडागर्दी करनेके लिए अनुमति देनेसमान ही है ! क्या प्रशासनने ईसाईयोंको ऐसा कहनेका साहस दिखाया होता ? हिंदुओंकी अतिसहनशीलता एवं भारतीय शासकोंद्वारा मुसलमानोंकी दास्यता ही मुसलमानोंकी इस उद्दंडताको कारणभूत हैं । हिंदुओ, यदि आपने इन जिहादियोंके विरोधमें संगठित होकर कृत्य नहीं किया, तो वे आपका अस्तित्व ही नष्ट कर देंगे यह निश्चित है ! - संपादक)
स्रोत : Hindu JanJagruti Samiti
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